ना भगवान दिखा ना अल्लाह
मंदिर देखा मस्जिद देखा
देखा हर गल्ली मोहल्ला
ना भगवान दिखा ना अल्ला
ना भगवान दिखा ना अल्ला
बह रहा था दूध कहाँ
चदर कही बिछा था
घी से भरी रोटी पड़ी थी
बाहर भूखा, रोता बच्चा था
बाहर भीक माँगती भिकारन
अंदर, बिना माँगे भरा गल्ला !
देखा हर गल्ली मोहल्ला
ना भगवान दिखा ना अल्ला
दर्शन करने गया हुआ
चंदा ही दे रहा था
नाम था सिर्फ रब का
बाकी, धंदा ही हो रहा था
सालों साल भगत रो रहा,
पुजारी मार रहा था डल्ला !
देखा हर गल्ली मोहल्ला
ना भगवान दिखा ना अल्ला
प्रस्तुतकर्ता : सिकन्दर कुमार मेहता
Bahut hi sundae sir ji.
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Thanks Surendra Jee, for the nice comment and visiting my blog.
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धन्यवाद,सुरेन्द्र जी
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वाह ! अति सुंदर
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धन्यवाद, रामलाल जी
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